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July 20, 2025

Paramhasa Yogananda | आपके जन्म वर्ष का अंतिम अंक आपकी आत्मा के बारे में क्या कहता है,

  1. क्या आपने कभी गहराई से सोचा है कि आपके जन्म वर्ष का अंतिम अंक केवल एक संयोग नहीं बल्कि ब्रह्मांड द्वारा चुना गया एक गुप्त संकेत हो सकता है? हमारे जन्म की तिथि, स्थान और परिस्थितियां सभी एक गहरी योजना का हिस्सा होती है। एक दिव्य योजना जिसमें आत्मा स्वयं को अनुभव करने के लिए समय, स्थान और स्वरूप का चुनाव करती है। इसी संदर्भ में महान योगी परमहंसा योगानंदा का यह विचार अत्यंत महत्वपूर्ण है कि ब्रह्मांड अंकों की भाषा में बात करता है और यह अंक खासकर जन्म वर्ष का अंतिम अंक हमारे भीतर छिपी आत्मा की दिशा, उसके स्वभाव और उसके कर्मों के संकेत दे सकता है। आज ज्ञान की आवाज के इस विशेष श्रृंखला में हम आपको उसी रहस्य की गहराइयों में ले चलेंगे। आपका जन्म वर्ष मान लीजिए 1990 है तो इसका अंतिम अंक शून्य है। यदि यह 1983 है तो अंतिम अंक तीन हुआ। क्या आपने कभी यह विचार किया है कि उस अंतिम अंक का कोई आत्मिक अर्थ भी हो सकता है? परमहंस योगानंद के अनुसार आत्मा जब पृथ्वी पर जन्म लेती है तो वह अपने पूर्व जन्मों के अनुभव कर्मों और उद्देश्यों के साथ आती है। जन्म का समय केवल खगोलीय गणना नहीं बल्कि आत्मा की एक आध्यात्मिक स्थिति को दर्शाता है। विशेष रूप से वर्ष का अंतिम अंक उस समय की ऊर्जा, प्रवृत्ति और आत्मा के जीवन के अगले चरण का संकेतक होता है। अंक शून्य से शुरू करें। शून्य का अर्थ है शून्यता, पूर्णता और अनंतता। यह अंक दर्शाता है कि आपकी आत्मा एक चक्र पूरा कर चुकी है। आप पहले ही कई जन्मों के अनुभव से गुजर चुके हैं और अब एक उच्च स्तर की चेतना के लिए तैयार है। आप में वह शांति हो सकती है जो केवल आत्मिक परिपक्वता से आती है। यह अंक यह भी संकेत कर सकता है कि आपका उद्देश्य इस जन्म में केवल भौतिक सफलता नहीं बल्कि दूसरों को आध्यात्मिक दिशा देना है।
  2. यह शून्यता वास्तव में पूर्णता का प्रतीक है। अंक एक की बात करें तो यह अंक आत्मा की उस ऊर्जा को दर्शाता है जो नवाचार, साहस और नेतृत्व से जुड़ी होती है। यदि आपके जन्म वर्ष का अंतिम अंक एक है तो यह संभव है कि आपकी आत्मा एक नया अध्याय शुरू कर रही है। यह जीवन आपके लिए एक आरंभ है जिसमें आप कई लोगों के लिए प्रेरणा बन सकते हैं। परमहंसा योगानंदा कहते हैं कि यह आत्माएं अपने भीतर एक ज्वाला लेकर जन्म लेती है। एक ज्वाला जो परिवर्तन लाना चाहती है जो सत्य की खोज में लगी होती है। यह लोग समाज में अकेले चलने वाले होते हैं लेकिन उन्हीं के कारण नए रास्ते खुलते हैं। अब अंक दो पर आइए यह अंक दर्शाता है द्वैत संतुलन और सह अस्तित्व। यह आत्माएं अत्यंत संवेदनशील, भावुक और करुणामई होती है। यदि आपके जन्म वर्ष का अंतिम अंक दो है तो आपकी आत्मा का उद्देश्य संतुलन बनाना हो सकता है। अपने भीतर और बाहर। आप स्वाभाविक रूप से दूसरों की भावनाओं को समझ सकते हैं जिससे आप अच्छे मित्र, मार्गदर्शक और साथी बनते हैं। परंतु यह संवेदनशीलता कभी-कभी आपको भी आंतरिक द्वंद में डाल सकती है। योगानंद जी कहते हैं कि ऐसी आत्माओं के लिए ध्यान और मौन की साधना विशेष रूप से आवश्यक है ताकि वे अपने भावनात्मक उतार-चढ़ाव में स्थिरता ला सके। अंक तीन की आत्माएं रचनात्मकता, संप्रेषण और आनंद का प्रतीक होती है। तीन वह अंक है जो आत्मा के उस स्वरूप को दर्शाता है जो हर स्थिति में सौंदर्य खोज लेता है। यह आत्माएं कलाकार, वक्ता, लेखक या संगीतकार बन सकती है लेकिन इनका असली उद्देश्य लोगों के जीवन में खुशी और प्रेरणा फैलाना होता है। परमहंसा योगानंदा के अनुसार ऐसी आत्माएं ब्रह्मांड की रचनात्मक ऊर्जा को व्यक्त करने के लिए आती है। यह आत्मा की वह अभिव्यक्ति है जो अंधकार में भी प्रकाश देख सकती है। इनके लिए सबसे बड़ी साधना होती है अपने रचनात्मक ऊर्जा को सेवा में बदल देना। अब बात करते हैं अंक चार की। यह अंक है स्थिरता, धैर्य और आत्म अनुशासन का। जिनका जन्म वर्ष चार पर समाप्त होता है, उनकी आत्मा इस जीवन में स्थायित्व और स्पष्टता की ओर बढ़ना चाहती है। यह लोग स्वभाव से व्यावहारिक, जिम्मेदार और संरचनात्मक सोच वाले होते हैं। योगानंद जी ने ऐसे लोगों को कर्म योगी कहा है जो सेवा को ही साधना मानते हैं। इनके जीवन का मार्ग सीधा हो सकता है लेकिन आसान नहीं। इनकी आत्मा को तप में आनंद आता है। यह आत्माएं समाज का आधार बनती है। लेकिन यदि यह अपने आत्मिक उद्देश्य से भटक जाए तो जीवन में भारीपन और थकान महसूस कर सकती है। अंक पांच जीवन में गति, परिवर्तन और साहस का प्रतीक है। यदि आपके जन्म वर्ष का अंतिम अंक पांच है तो संभवतः आपकी आत्मा बदलाव से नहीं डरती। आपने पिछले जन्मों में स्थिरता का अनुभव किया है और अब आप प्रयोग और अनुभव के लिए तैयार हैं। आप यात्राएं करते हैं बाहर की भी और भीतर की भी। आप में वह ऊर्जा होती है जो लोगों को झकझोर देती है। योगानंद जी कहते हैं कि अंक पांच की आत्माएं सहज ही ध्यान की गहराई में उतर सकती है क्योंकि वे बाहरी दुनिया की विविधता के माध्यम से भीतर की एकता खोजती है। परंतु इन आत्माओं के लिए चुनौती होती है। अपने अनुभवों को केवल मनोरंजन के स्तर से ऊपर उठाकर आत्मज्ञान के साधन में बदलना। अंक छह प्रेम, सेवा और सौंदर्य का प्रतीक है। यह अंक दर्शाता है कि आपकी आत्मा एक संरक्षक है। एक गाइड, एक हीलर आप स्वाभाविक रूप से दूसरों के दुख को महसूस कर सकते हैं और उन्हें संबल देने का प्रयास करते हैं। परमहंसा योगानंदा कहते हैं कि ऐसी आत्माएं अक्सर परिवार, समाज या समूहों में वह शक्ति होती है जो सबको जोड़कर रखती है। यह आत्माएं बहुत कोमल होती है। परंतु इन्हें सीखना होता है कि दूसरों की मदद करते हुए खुद को ना भूलें। इनका जीवन उद्देश्य होता है सेवा के माध्यम से प्रेम को मूर्त रूप देना। अंक सात एक रहस्यमय अंक है। यह दर्शाता है आत्मा की गहराई, जिज्ञासा और ध्यान की प्रवृत्ति। जिनका जन्म वर्ष सात पर समाप्त होता है, वे आत्मा की उस यात्रा पर होते हैं जो बाहर की दुनिया से भीतर की दुनिया की ओर जाती है। यह लोग गहरे चिंतक, दार्शनिक या आध्यात्मिक साधक होते हैं। योगानंद जी कहते हैं कि ऐसी आत्माएं कभी सत ही जीवन से संतुष्ट नहीं होती। वे सत्य को अनुभव करना चाहती हैं ना कि केवल मान लेना। इन्हें एकांत प्रिय होता है और अक्सर यह लोग बचपन से ही जीवन और मृत्यु जैसे प्रश्नों में उलझे रहते हैं। इनके लिए ध्यान, स्वाध्याय और मौन ही मार्ग है। अंक आठ, शक्ति, उपलब्धि और आत्मनियंत्रण का प्रतीक है। यदि आपके जन्म वर्ष का अंतिम अंक आठ है, तो आपकी आत्मा को इस जन्म में शक्ति का अनुभव करना है। पर वह शक्ति केवल भौतिक नहीं बल्कि आत्मिक भी हो सकती है। यह आत्मा सत्ता, व्यवसाय या नेतृत्व के क्षेत्रों में आगे बढ़ सकती है। परंतु इसके लिए उसे एक आंतरिक संतुलन बनाए रखना होगा। योगानंद जी कहते हैं कि शक्ति एक जिम्मेदारी है और आर्ट की आत्माओं को यह सीखना होता है कि शक्ति का प्रयोग सेवा और न्याय के लिए हो। यदि यह आत्मा केवल भौतिक उपलब्धियों में उलझ जाती है तो वह भीतर से खोखलापन अनुभव कर सकती है। लेकिन जब यह आत्मा अपने उद्देश्य को पहचान लेती है तब यह हजारों लोगों की दिशा बदल सकती है। अब आते हैं अंक नौ पर यह अंतिम अंक है और इसीलिए यह आत्मा की परिपक्वता, समर्पण और करुणा का प्रतीक है। नौ की आत्माएं। अक्सर पुराने जन्मों में अनेक अनुभवों से गुजर चुकी होती है। यह जीवन उनके लिए सेवा और मुक्ति का मार्ग होता है। वे स्वभाव से ही दयालु, उदार और परोपकारी होती है। परमहंसा योगानंदा के अनुसार यह आत्माएं ब्रह्मांड की मां की तरह होती है। सबका दुख अपना बना लेती है और फिर भी मुस्कुराती रहती है। इनका जीवन उद्देश्य होता है। संसार में रोशनी फैलाना लेकिन बिना किसी अपेक्षा के इन आत्माओं के लिए त्याग ही सबसे बड़ी पूजा होती है। अब जब आपने हर अंग के आत्मिक संकेत को समझा है तो क्या आप अपने जन्म वर्ष के अंतिम अंक को अब भी केवल एक संयोग मानते हैं या अब वह एक खिड़की बन गया है। आपकी आत्मा की पहचान को समझने की। परमहंसा योगानंदा के शब्दों में जब तुम अपने भीतर झांकना शुरू करते हो तो ब्रह्मांड स्वयं को तुम्हारे माध्यम से प्रकट करता है। अंक केवल आत्मा की प्रकृति ही नहीं दर्शाते बल्कि यह हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में, रिश्तों में, करियर में, मानसिक और भावनात्मक चुनौतियों में गहरे प्रभाव छोड़ते हैं। परमहंसा योगानंदा के विचारों के अनुसार ब्रह्मांड की संख्यात्मक ऊर्जा हमारे कर्म, स्वभाव और विकास के प्रत्येक स्तर पर काम करती है। यदि आपने अपने जन्म वर्ष के अंतिम अंक को पहचान लिया है तो अब समय है यह जानने का कि वह अंक आपके संबंधों, जीवन के उद्देश्य और आत्मा के संघर्षों में क्या भूमिका निभाता है। अंक शून्य के साथ जन्म लेने वाले लोग आमतौर पर अत्यंत आत्मनिर्भर और भावनात्मक रूप से संतुलित होते हैं। उनके रिश्ते गहरे होते हैं, लेकिन वे किसी पर निर्भर रहना पसंद नहीं करते। वे अपने संबंधों में स्वतंत्रता और गहराई दोनों चाहते हैं। यह आत्माएं दूसरों को सहारा देने में सक्षम होती है। लेकिन कभी-कभी उनकी तटस्थता या डिटच स्वभाव रिश्तों में दूरी भी पैदा कर सकता है। करियर में वे उन क्षेत्रों में आगे बढ़ते हैं जहां उन्हें रचनात्मक स्वतंत्रता और गहराई से काम करने का अवसर मिले। जैसे शोध, अध्यात्म या परामर्श। लेकिन इनकी सबसे बड़ी चुनौती होती है अपने भीतर के मौन को दुनिया से जोड़ पाना। अंक एक की आत्माएं प्रेम में भी नेतृत्व करना चाहती है। वे अत्यंत आत्मविश्वासी और संकल्प शक्ति से परिपूर्ण होती है। परंतु कभी-कभी यह आत्मविश्वास अहंकार में बदल सकता है। रिश्तों में इन्हें यह समझना होता है कि नियंत्रण प्रेम नहीं होता। यह लोग अपने पार्टनर के लिए प्रेरणा बन सकते हैं। लेकिन यदि वे केवल अपने दृष्टिकोण पर अड़ जाए तो संबंध में सामंजस्य बिगड़ सकता है। करियर में वे नेतृत्व और उद्यम के क्षेत्र में चमकते हैं लेकिन उनके लिए आत्म अवलोकन आवश्यक है ताकि वे केवल बाहरी सफलता नहीं भीतर की शांति भी पा सके। अंक दो वाले लोग रिश्तों में बहुत भावुक होते हैं। यह सहानुभूति से भरपूर होते हैं और अक्सर अपने प्रियजनों की भावनात्मक जरूरतों को खुद से ऊपर रखते हैं। इस वजह से वे कभी-कभी खुद को खो देते हैं। इन्हें सीखना होता है कि संतुलन बनाए रखें। अपने लिए भी प्रेम उतना ही जरूरी है जितना दूसरों के लिए। करियर में यह लोग शिक्षा, काउंसलिंग, मानव संसाधन जैसे क्षेत्रों में सफल हो सकते हैं। लेकिन यदि इनका भावनात्मक संतुलन डगमगाए तो वे मानसिक थकान या निर्णय की असमर्थता से जूझ सकते हैं। ध्यान और मौन इनकी आत्मा को स्थिरता प्रदान करते हैं। अंक तीन की आत्माएं प्रेम में उत्साही और रचनात्मक होती है। वे अपने साथी के लिए जीवन को उत्सव बना देती हैं। परंतु कभी-कभी वह सतही भी हो सकती है। इनकी आत्मा को गहराई से जोड़ने वाला साथी चाहिए जो इनके अंतर्मन की रचनात्मक ऊर्जा को समझ सके। करियर में वे कला, संगीत, लेखन या मनोरंजन की दुनिया में चमकते हैं। लेकिन इनकी सबसे बड़ी परीक्षा होती है। अपने जीवन को केवल प्रदर्शन न बनने देना। इन्हें अपनी रचनात्मकता को सेवा में बदलना होता है ताकि उनका उद्देश्य गहराई और स्थायित्व से जुड़ सके। अंक चार वाले लोग रिश्तों में बेहद वफादार और जिम्मेदार होते हैं। वे हर परिस्थिति में अपने संबंधों को निभाते हैं। लेकिन उनकी व्यावहारिकता कभी-कभी उन्हें भावनात्मक रूप से कठिन बना देती है। यह लोग अपने प्रियजनों के लिए वह दीवार होते हैं जो हर तूफान से सुरक्षा देते हैं। परंतु उन्हें यह भी सीखना होता है कि भावनाओं को भी अभिव्यक्त करना जरूरी है। करियर में वे इंजीनियरिंग, प्रशासन, निर्माण या किसी भी संरचनात्मक क्षेत्र में सफल हो सकते हैं। लेकिन अगर वे बहुत कठोर हो जाए तो जीवन में लचीलापन खत्म हो सकता है। ध्यान और कृतज्ञता इनके जीवन को संतुलित कर सकती है। अंक पांच की आत्माएं प्रेम में स्वतंत्रता चाहती है। यह लोग रोमांचकारी, जीवंत और प्रयोगशील होते हैं। इनके लिए बंधन का अर्थ है घुटन। इसलिए इन्हें ऐसा साथी चाहिए जो इन्हें खुलकर जीने दे। यह आत्माएं अपने जीवन में निरंतर परिवर्तन और नयापन चाहती है। करियर में वे यात्रा, पत्रकारिता, मार्केटिंग या किसी भी बदलाव वाले क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं। लेकिन इनकी आत्मा की चुनौती है। स्थायित्व के साथ सामंजस्य। इन्हें सीखना होता है कि स्वतंत्रता और जिम्मेदारी एक दूसरे के विरोधी नहीं। पूरक हो सकते हैं। अंक छह के साथ जन्म लेने वाले लोग रिश्तों में समर्पित देखभाल करने वाले और अत्यंत सहायक होते हैं। यह लोग परिवार को सर्वोच्च मानते हैं और अपने प्रियजनों के लिए सब कुछ छोड़ सकते हैं। लेकिन कभी-कभी यह त्याग इतना अधिक हो जाता है कि वे खुद को खो देते हैं। इनकी आत्मा को यह समझना होता है कि सेवा और आत्मसम्मान साथ चल सकते हैं। करियर में वे स्वास्थ्य, शिक्षा, परामर्श या समाज सेवा के क्षेत्रों में उत्कृष्ट होते हैं। इनकी सबसे बड़ी शक्ति होती है प्रेम और सबसे बड़ी चुनौती होती है संतुलन। अंक सात की आत्माएं। प्रेम में रहस्यमई और आत्मिक होती है। वे सही संबंधों में विश्वास नहीं करती। इन्हें ऐसा साथी चाहिए जो उनके भीतर की गहराइयों को समझे और स्वीकारे। यह लोग एकांत प्रिय होते हैं। लेकिन यदि इन्हें कोई समझने वाला साथी मिल जाए तो वे अत्यंत गहरे और सच्चे प्रेमी बन सकते हैं। करियर में वे शोध, आध्यात्मिकता, लेखन या किसी भी आंतरिक अनुशासन वाले क्षेत्र में सफल हो सकते हैं। लेकिन इनकी आत्मा की सबसे बड़ी परीक्षा होती है। बाहरी दुनिया से संवाद बनाए रखना। ध्यान और साधना इनके जीवन के अनिवार्य अंग होते हैं। अंक आठ की आत्माएं संबंधों में प्रतिबद्ध और संरचनात्मक होती है। वे संबंध को एक साझेदारी की तरह देखती है। जहां दायित्व, लक्ष्यों और प्रगति का महत्व होता है। लेकिन कभी-कभी यह व्यवहार प्रेम की सहजता को खत्म कर सकता है। इन्हें यह सीखना होता है कि प्रेम केवल उद्देश्य नहीं एक भाव भी है। करियर में यह लोग नेतृत्व, व्यवसाय, प्रशासन और वित्त के क्षेत्रों में आगे बढ़ते हैं। लेकिन अगर यह केवल बाहरी सफलता पर केंद्रित हो जाए तो अंदर से खालीपन अनुभव कर सकते हैं। आत्मा की पूर्ति के लिए इन्हें सेवा, दान और आंतरिक विकास की ओर बढ़ना होता है। अंत में अंक नौ। यह आत्माएं प्रेम में बेहद उदार, सहनशील और आत्मिक होती है। वे अपने साथी को केवल प्रेम नहीं एक आश्रय देती है। लेकिन इन्हें यह भी सीखना होता है कि अपने भावनात्मक क्षेत्र की रक्षा कैसे करें। यह लोग सभी के लिए अच्छा सोचते हैं। लेकिन अगर इनकी करुणा का दुरुपयोग हो तो यह टूट सकते हैं। करियर में वे समाज सेवा, चिकित्सा, अध्यात्म या किसी भी सेवा प्रधान क्षेत्र में सहज होते हैं। लेकिन इनकी आत्मा का सबसे बड़ा उद्देश्य होता है संसार को कुछ देकर जाना। योगानंद जी कहते हैं कि नौ की आत्मा वह दीपक होती है। जो खुद जलकर औरों को रोशन करती है। इन अंकों की आत्मिक व्याख्या ना केवल हमें खुद को समझने में मदद करती है बल्कि यह भी सिखाती है कि हमारे जीवन में आने वाली हर स्थिति, प्रेम, करियर या संघर्ष एक गहराई से जुड़ी हुई योजना का हिस्सा है। जब हम इन संकेतों को पहचानते हैं, तो हम केवल जीवन नहीं जीते। हम जीवन को जागृत होकर जीने लगते हैं। अब जब आप अपने अंतिम अंक की इस गहराई को समझ चुके हैं तो सोचिए आपके जीवन की सबसे बड़ी चुनौती क्या रही है? क्या वह उसी अंक की ऊर्जा से जुड़ी थी? और यदि हां तो क्या अब आप उसे नए दृष्टिकोण से देख सकते हैं? हर आत्मा एक विशेष कंपन वाइब्रेशन से बनी होती है और हर अंक उस कंपन का प्रतीक होता है। परमहंसा योगानंदा कहते हैं कि ध्यान मेडिटेशन आत्मा के उस स्तर को जागृत करता है जो हमें ईश्वर से जोड़ता है। यदि हम अपने जन्म वर्ष के अंतिम अंक की ऊर्जा को पहचानकर उसके अनुरूप ध्यान विधियां अपनाएं तो हमारा आध्यात्मिक विकास कई गुना बढ़ सकता है। आइए अब समझते हैं हर अंक के लिए कौन सी साधना या ध्यान पद्धति सबसे उपयुक्त होती है जो आत्मा की ऊर्जा को संतुलित कर सके और उसे उसके उच्चतम उद्देश्य की ओर ले जाए अंक शून्य की आत्मा को मौन में गहराई मिलती है इनके लिए सबसे उपयुक्त साधना है निर्विचार ध्यान साइलेंट विटनेस मेडिटेशन इन्हें एक स्थान पर बैठकर बिना किसी मंत्र या कल्पना के केवल अपने विचारों की साक्षी बनना होता है। यह आत्मा के अंदर छुपे ब्रह्मांडीय मौन को जागृत करता है और इन्हें ब्रह्म से एकाकार कर सकता है। अंक एक वालों के लिए ट्राटक ध्यान ट्राटका मेडिटेशन उत्तम है जिसमें वे एक दीपक की लौ या किसी बिंदु को एकाग्र होकर देखते हैं। यह उनकी केंद्रित ऊर्जा को सही दिशा में प्रवाहित करता है और उनके भीतर की नेतृत्व शक्ति को आत्म अनुशासन से भरता है। अंक दो की आत्माएं बेहद भावुक होती हैं। इनके लिए भक्ति योग और मंत्र जाप ध्यान सबसे असरदार होते हैं। जैसे आयम नमः भगवते वासुदेवाय का जाप जिससे इनकी भावनाएं स्थिर होती हैं और इन्हें प्रेम की ऊर्जा दिव्यता में बदलने का मार्ग मिलता है। अंक तीन के लिए रचनात्मक ध्यान क्रिएटिव विजुलाइजेशन मेडिटेशन सबसे उत्तम है। इन्हें निर्देशित ध्यान के माध्यम से सकारात्मक छवियों का निर्माण करना चाहिए। जैसे स्वयं को प्रकाश से भरता देखना या संसार को प्रेम से नहलाता हुआ देखना। यह इनकी कल्पना शक्ति को आध्यात्मिक उद्देश्य से जोड़ता है। अंक चार को स्थिरता और अनुशासन चाहिए। इनके लिए कपालभाति और अनुलोम विलोम जैसे श्वास पर आधारित ध्यान पद्धतियां सबसे प्रभावी होती है। यह इनकी जीवन शक्ति प्राणा को नियंत्रित करती है और मानसिक स्पष्टता लाती है। अंक पांच की आत्माएं चलायमान होती है। इसलिए उनके लिए गतिशील ध्यान, डायनेमिक मेडिटेशन या नृत्य ध्यान जैसे ओशो की विधियां अत्यंत प्रभावी होती है। यह ध्यान पहले शरीर को मुक्त करते हैं। फिर आत्मा को शांति में स्थिर करते हैं। अंक छह के लिए करुणा और सेवा भाव को जागृत करने वाली ध्यान विधियां उपयुक्त है। मेटा भावना या मैत्री ध्यान जिसमें हम सभी प्राणियों के लिए प्रेम और मंगल की भावना प्रकट करते हैं। इनकी आत्मा को दिव्यता से भर देता है। अंक सात की आत्मा रहस्य और मौन की ओर झुकती है। इनके लिए मंत्रों की गूढ़ता या चक्र ध्यान सबसे उपयुक्त होता है। विशेष रूप से आज्ञा चक्र, थर्ड आई पर ध्यान केंद्रित करने से इनकी अंतर्ज्ञान शक्ति प्रबल होती है। अंक आठ के लिए ध्यान और सेवा का संतुलन आवश्यक है। इन्हें कर्म योग के साथ-साथ शक्ति और संतुलन का ध्यान करना चाहिए। एयूएम नमः शिवाय मंत्र इनके भीतर की आत्मिक शक्ति को जागृत करता है। जिससे वे सफलता के साथ-साथ संतुलन को भी पा सके। अंक नौ की आत्मा सेवा और त्याग की होती है। इनके लिए ध्यान से अधिक आवश्यक है। ध्यान में सेवा की भावना जोड़ना। इन पर सो हम ध्यान बहुत प्रभावी होता है। जिसमें श्वास के साथ सो, मैं और हम वह का जाप कर आत्मा को भ्रम से जोड़ते हैं। इससे इनकी करुणा में आत्मिक चेतना का संचार होता है। इन सभी ध्यान विधियों में एक बात समान है। वह है स्वीकृति। जब हम अपने आत्मिक अंक को स्वीकारते हैं तो हम जीवन की हर घटना को एक साधना मान लेते हैं। हर संघर्ष, हर प्रेम, हर असफलता सभी हमें उस दिशा में ले जाते हैं जहां आत्मा परमात्मा से मिलती है। अब समय है कि आप केवल अपने जीवन को देखें नहीं बल्कि उसे भीतर से महसूस करें। अपने जन्म वर्ष का अंतिम अंक केवल अंक नहीं एक पुकार है आपकी आत्मा की। क्या आपने उसे सुना? तो आज से अपने अंक की ऊर्जा के अनुरूप साधना कीजिए। पहले दिन कुछ मिनटों से शुरू करें। फिर धीरे-धीरे अपने जीवन के हर क्षण को ध्यान बना दीजिए। और देखिए कैसे आपके भीतर की शांति और बाहरी जीवन के बीच की खाई भरने लगती है। याद रखिए जब आत्मा जागती है तभी जीवन का अर्थ सामने आता है। ज्ञान की आवाज के इस तीन भागों की श्रंखला में आपने जो यात्रा की है वह अब समाप्त नहीं आरंभ है। यह अंत नहीं आराधना है और हम वादा करते हैं जब भी आपकी आत्मा बोलेगी हम उसकी आवाज बनकर साथ खड़े रहेंगे। जय आत्मा जय चेतना।

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